धनपाल सिंह भंडारी शेरपुर की विशेष रिपोर्ट
रतलाम /शेरपुर। रतलाम जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां पर अंतिम संस्कार के लिए शमशान भी नहीं है। बारिश के अलावा सामान्य स्थिति में कहीं भी अंतिम संस्कार किया जा सकता है लेकिन बरसते पानी में अंतिम संस्कार करना बड़ा ही दुर्लभ है। ऐसा ही दृश्य रतलाम जिले के ग्राम पंचायत सांसर के अंतर्गत आने वाले गांव पागड़ियामऊडी है, जहां इस गांव के निवासी राजू कटरा की मृत्यु होने पर बरसते पानी में बरसाती वह छाता लेकर खड़े होकर अंतिम संस्कार करते हुए देखा गया है।
सैलाना के समीपस्थ ग्राम पंचायत सांसर के अंतर्गत पागड़ियामऊडी जो की एक आदिवासी अंचल का गांव जहां 99 % ग्रामीणजन मजदूरी से अपना जीवन यापन करते हैं जिनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह जन सहयोग से श्मशान घाट का निर्माण कर सके। विकास की लहर में ऐसे भी गांव बचे हुए हैं जहा अभी तक अंतिम संस्कार करने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। क्या यह जनता की समस्या नहीं है।
आदिवासी अंचल से राजू कटारा की 60 वर्ष की आयु में अचानक मृत्यु हो गई। मृतक की धर्मपत्नी कमली बाई कटारा जो की विकलांग है, मृतक के दो पुत्र है, परिवार के साथ- साथ पूरा गांव इस समस्या से जूझ रहा है।
अंतिम संस्कार में श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे ग्रामवासी लक्ष्मण कटारा, धूलजी कटारा, रमेश कटारा, शंकर कटारा, बद्री कटारा, राजू मईडा, तोलाराम वसुनिया, कमरू कटारा ,शांतिलाल कटारा, बापू कटारा ने बताया कि हमे बारिश के समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कही- कही तो प्लास्टिक की बरसाती भी हवा में उड़ जाती है और दाह संस्कार में काफी दिक्कत आती हैं।
नाराज ग्रामीणों का कहना है कि अगर हमारी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो हम उग्र आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों के द्वारा इस समस्या के बारे में कई बार ग्राम पंचायत सरपंच को मौखिक रूप में सूचना दी गई लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई।

Author: MP Headlines



