संवाददाता कृष्णा राठौर (पायल)
रतलाम/सैलाना। असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजय दशमी पर नगर में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी राक्षसी रूपी महान ज्ञानी पंडित दशानंद रावण का दहन हुआ। राम जी की झांकी मै मंदसौर से आए, श्री रामजी, लक्ष्मण जी हनुमानजी,वानर रथ पर विराजमान थे, झांकी (सवारी) नगर के श्री रघुनाथ द्वारा मंदिर से आरम्भ हुई जो नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए सैलाना स्थित कालिका माता मंदिर पहुंची। यहां सैलाना दरबार विक्रम सिंह जी व कुँवर युवराज जी ने मा कालिका माता जी की पूजा अर्चना की गई। झांकी सवारी में नगर के गणमान्य नागरिक वह भक्तगण साथ चल रहे थे।

यहां से (सवारी) भ्रमण करते हुए सैलाना नगर के रावण दहन ग्राउंड पर पहुंची, यहा दशानन्द रावण अपने अहम में अपना सीना ताने खड़े 41 फीट के रावण का दहन श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमानजी, वानर के अवतार में पंडित प्रेमदास बैरागी के सानिध्य में श्री रामजी, ने दशानंद को तीरमार कर (छोड़कर ) रावण के अहम को अंततः समाप्त करते हुए दहन किया। जलते हुए रावण औंधे मुंह गिरा जिसको कर्मचारियों ने जलाया।
*पहली बार एक अच्छी पहल हुई*
रावण दहन के पूर्व सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। हनुमान चालीसा से ग्राउंड गुंजायमान हुआ,एवं महाआरती की गई। तत्पश्चात रंगारंग आतिशबाजी का दोर चला जिसका नगर की जनता ने भरपूर आनंद लिया। पूरे आयोजन का संचालन शिक्षक मुनेंद्र दुबे ने किया। परिषद द्वारा निर्विघ्न सफल आयोजन के लिए नगर के समस्त अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर एसडीएम मनीष जैन,एस डी ओ पी नीलम बघेल, तहसीलदार कैलाश कन्नौज, थाना प्रभारी पृथ्वीसिंह खलाटे सहित पुलिस महकमा उपस्थित था।

*अनु विभागीय अधिकारी ने दी बधाई*
विजयदशमी पर रावण दहन के उपरांत अनुविभागीय अधिकारी मनीष जैन ने सैलाना नगर की आम जनता को शुभकामनाएं, बधाई प्रदान करते हुए कहा कि प्रभु भगवान श्रीराम सब की इच्छा मनोकामनाएं पूर्ण करें। हनुमान चालीसा पाठ का ऐसे धार्मिक आयोजन जो हमारे आस्था का केंद्र है होने चाहिए। हनुमान जी हम सबके आराध्या हैं।
*आजादी के बाद नगर के कलाकारों को मौका नहीं मिला*
सैलाना नगर की करीब 20 से 25 हजार की आबादी होने के उपरांत भी विगत वर्षों से होते आ रहे राम लक्ष्मण व हनुमान जी के प्रसंग के कलाकारो को नगर से इस बार मौका नहीं मिला।
*दशहरा पर हम रावण क्यों जलाते हैं?*
सरल शब्दों में कहें तो रावण की मृत्यु अत्याचार के अंत और समाज में नैतिकता और व्यवस्था की वापसी का प्रतीक है । और इसलिए, रावण के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है।

*शत्रुओं पर मिलती है विजय*
दशहरे के दिन रावण दहन वाले स्थान की राख को लेकर अपने माथे पर लगाना काफी शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस उपाय से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय मिल सकती है। वहीं आप रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ी को अपने घर ला सकते हैं। इसके बाद इस लकड़ी को घर की तिजोरी या फिर धन रखने के स्थान पर रख दें।

Author: MP Headlines



