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भूखों को भोजन देने का नेक कार्य सैलाना में बिना प्रचार प्रसार के चल रहा, भूखो का पेट भरते हैं और वह भी शालीनता से

सैलाना। रतलाम जिले के सैलाना में कभी राजा महाराजाओं के समय सदा व्रत आटा प्रदान किया जाता था उसके बाद ऐसा ही कार्य  असल मे सेवा के संकल्प के साथ सेवा करते 90 दिनों से भी ऊपर हो गए ऐसा ही नेक कार्य नगर के युवाओं द्वारा किया जा रहा है। अगर आप किसी भूखे का पेट भरने में सहयोगी बनते हैं, और वो भी बेहद शालीन तरीके से चुपचाप अपने इस नेक कार्य को अंजाम देते हैं। तो शायद इससे बेहतर सेवा और क्या होगी।

बहुत कम लोगों को पता हैं कि सैलाना में एक ऐसी ही छोटी सी ही सही पर बेहतरीन सेवा चल रही हैं। अगर किसी भूखे के द्वार पर एक निश्चित समय पर खाना पहुंचा दिया जाए तो उसके दिल से निकली दुआ कितनी काम की साबित होगी ये तो इसमें सहयोग करने वालो को समय आने पर ही पता चलेगा। पर जो कुछ यहां हो रहा है वो निसंदेह दिल को सुकून देने वाला हैं।

यूं शुरू हुआ ये नेक कार्य
दरअसल कोई तीन माह पूर्व नगर के एक युवा व्यवसाई की आंखों के सामने कुछ ऐसा वाकिया आया कि उसकी सोंच ही पलट गई। एक बेघर भूखा व्यक्ति व्यवसाई की दुकान के पास से एक रात सड़क पर पड़ी सेव बिन कर खा रहा था। इस दृश्य से व्यवसाई व उसके साथ बैठे साथी द्रवित हुए। उन्होंने अपने कुछ साथियों को ये बात बताई। सभी ने मिल कर मंथन किया कि कुछ ऐसा किया जाए कि अपने नगर सैलाना में किसी को भूखा नहीं सोना पड़े। बस फिर क्या था एक दूसरे के समक्ष इस प्रकार की चर्चा शुरू की गई और एक बेहतर योजना शुरू की गई कि कोई भूखा नहीं सोए।

स्वागत योग्य सेवा कार्य
अभी तक हमने ऐसी कई सामाजिक सेवाओं को देखा होगा कि छोटी सी सेवा और दुनिया भर का प्रचार,प्रसार। ऐसे भी मामले सामने आते हैं कि दो केले हॉस्पिटल में मरीज को थमा कर फोटो, खबर अखबार में प्रकाशित कराने का आग्रह होता हैं। पर क्या आपने कभी कोई ऐसा सेवा कार्य देखा कि भूखों को रोज भोजन दिया जाए और अखबारनवीसों को ये खबर छापने के लिए मना किया जाए। आज हम एक ऐसी ही बेनामी सकारात्मक खबर दे रहे हैं।दरअसल सैलाना में बीते डेढ़ माह से भी अधिक समय से एक संगठन कुछ इसी प्रकार का जोरदार कार्य कर रहा हैं। केवल सेवा का जज्बा लिए इस संगठन के आग्रह पर ही पूरी खबर में न तो संगठन का नाम दिया जा रहा हैं, और ना ही किसी व्यक्ति का।

फिर शुरू हुई माउथ पब्लिसिटी
बड़ी बात तो ये हैं कि भूखों को घर तक भोजन पहुंचाने के इस नेक कार्य की अगुवाई करने वालो में से कोई नहीं चाहता कि ये कार्य प्रचार, प्रसार का हिस्सा बने। इसी लिए इस खबर में ना तो किसी व्यक्ति का नाम दिया जा रहा हैं और ना ही संगठन का। बस सिर्फ माउथ पब्लिसिटी के द्वारा एक दूसरे से संपर्क हुआ।

सिर्फ एक बैठक, और अमल शुरू
फिर सिर्फ एक बैठक में भूखों को भोजन देने का यह कार्य चल पड़ा। इस अभियान से नगर का ही एक समाजसेवी हलवाई भी जुड़ गया। इस बैठक में 12 ऐसे लोग चिन्हित किये गए जिन्होंने शाम को भोजन भिजवाया जाना था। प्रति व्यक्ति मात्र ₹35 में भरपेट भोजन की व्यवस्था का जिम्मा उस हलवाई ने लिया। उसी बैठक में 8 से 10 ऐसे युवा आगे आए जो समाजसेवी हलवाई के घर से भोजन के पैकेट उठाकर वितरित करने का कार्य करते हैं। इस पूरे अभियान में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोग भी जुड़े हुए हैं।

एक व्हाट्सएप ग्रुप बना
एक युवा ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जिसमें 90 लोगों को जोड़ा गया। 15 सितंबर से शाम को 5:30 से 6:00 के बीच में दो युवक उस समाजसेवी हलवाई के घर से भोजन के पैकेट उठाते हैं और जूनावास से लगाकर गोधूलिया तालाब तक लगभग 04 किलोमीटर के दायरे में अपनी बाइक से वो भोजन के पैकेट वितरित करने जाते हैं। इससे एक दिन पूर्व ग्रुप एडमिन व्हाट्सएप ग्रुप में उसे व्यक्ति का नाम डाल देते हैं जिसे हलवाई के खाते में 13 भोजन के पैकेट के 420 रुपए डालना होते हैं। वह व्यक्ति तुरंत ही यह राशि डाल देता है और मात्र 420 रुपए में 13 लोगों का शाम का खाना हो जाता है। और वह भूखे नहीं सोते हैं। बल्कि खाना खाकर आराम से सोते हैं।

अब पात्र जरूरतमंदों को बढ़ाने पर जोर
फिलहाल हालांकि इस व्हाट्सएप ग्रुप में 90 लोगों से अधिक की संख्या नहीं बढ़ाई जा रही है। परंतु यदि कोई बाहरी व्यक्ति भी कहीं से जानकारी प्राप्त होने पर इस प्रकार के मदद की पेशकश करता है तो उसे यह राशि ली जाकर हलवाई के खाते में डाल दी  जाती है। अब इन युवाओं का जोर इस बात पर है कि भूखों को भोजन देने की संख्या बढ़ाई जाए। जहां कहीं से भी किसी भी सूत्र से जानकारी अगर मिलेगी तो शाम का खाना उसके द्वार पर इस व्हाट्सएप ग्रुप के चुनिंदा स्वयंसेवक भिजवाने की व्यवस्था करेंगे और आर्थिक मदद देने वाले अधिक लोगों के भोजन की राशि मात्र ₹35 प्रति व्यक्ति के मान से हलवाई को प्रदान कर देंगे। कभी-कभी भोजन की गुणवत्ता परखने के लिए दो पैकेट ज्यादा लेकर ग्रुप के सदस्य स्वयं खाना चख कर भी देखते हैं। और हर बार जब भी खाने की गुणवत्ता को चखा गया तो खाना गुणवत्ता वाला पाया गया।

इस बेनामी अनुकरणीय खबर को पढ़ने के पश्चात अब सैलाना नगरवासी ढूंढे उन्हें, कि कौन यह नेक कार्य कर रहे है और पात्र जरूरतमंद भूखों की संख्या बढ़वाने में सहयोगी बने।

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Author: MP Headlines

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