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भील प्रदेश की मांग: आदिवासी समाज ने राष्ट्रपति के नाम अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा ज्ञापन

सैलाना। सैलाना क्षेत्र से एक बार फिर अलग भील प्रदेश बनाए जाने की मांग जोर पकड़ती नजर आ रही है। मंगलवार को बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोगों ने सैलाना में प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) मनीष जैन को सौंपा। आंदोलनकारियों ने “भील प्रदेश लेकर रहेंगे” जैसे नारे लगाते हुए आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलाकर अलग राज्य की मांग की।

ज्ञापन में कहा गया है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात के आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर “भील प्रदेश” का गठन किया जाए। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि वर्षों से आदिवासी क्षेत्रों की उपेक्षा हो रही है – यहां न तो मूलभूत सुविधाएं हैं और न ही ज़मीनों पर आदिवासियों का अधिकार सुरक्षित है।

ज्ञापन सौंपने वालों में जिला पंचायत उपाध्यक्ष केशुराम निनामा, भारत आदिवासी पार्टी के जिला अध्यक्ष चंदू मईडा, और अनेक सरपंच व जनप्रतिनिधि शामिल थे, जिनमें विश्राम निनामा, दिनेश निनामा, रमेश खराड़ी, अशोक डामोर, बादल मईडा, ईश्वर डोडियार आदि प्रमुख रहे। इस दौरान सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे और आंदोलन को समर्थन दिया।

गौरतलब है कि यह मांग नई नहीं है। पूर्व में भी बांसवाड़ा-डूंगरपुर से सांसद राजकुमार रोत और भारत आदिवासी पार्टी सहित कई संगठन इस मुद्दे को उठा चुके हैं। इस बार फिर सैलाना से उठी मांग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है और आने वाले समय में कांग्रेस और भाजपा जैसे दलों की प्रतिक्रियाएं इस पर निर्णायक साबित हो सकती हैं।

क्या है भील प्रदेश की परिकल्पना
भील प्रदेश की अवधारणा के तहत राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों को मिलाकर एक नया राज्य बनाने की मांग की जा रही है, ताकि आदिवासियों के सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक हितों की रक्षा की जा सके

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Author: MP Headlines

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