सैलाना। रतलाम जिले के सैलाना नगर में प्रति वर्ष अनुसार इस वर्ष भी नक्षत्र वशीकरण धारी प्रकांड विद्वान पंडित दशानन्द, भगवान शिव का परम भक्त चार वेद और छह दर्शन का ज्ञानचार्य ,कुशल शासक और राजनीतिज्ञ जिसने अपनी लंका को एक शक्तिशाली राज्य बनाया,वही रावण बुराई का प्रतीक माना जाता है, जिसने अपनी शक्ति और अहंकार के कारण अपने स्वयं व अपने साम्राज्य का विनाश किया। ऐसे दुराचारी असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक विजय दशमी पर राक्षसी रूपी महान ज्ञानी पंडित दशानंद रावण का अंततः दहन हुआ।( सैलाना नगर में पहली बार दशहरे विजयदशमी) पर दुराचारी महा पंडित दशानंद रावण का साथ देने वाले 21-21फिट के कुंभकरण व मेघनाथ को भी जलाया जाता है, उनको भी (जलाया) दहन कर उनका भी अंत किया।

इससे पूर्व राम जी की झांकी सवारी श्री रामजी, लक्ष्मण जी हनुमानजी,वानर रथ पर विराजमान थे, झांकी (सवारी) नगर के श्री रघुनाथ द्वारा मंदिर से आरम्भ हुई जो नगर के प्रमुख मार्ग से होते हुए सैलाना स्थित प्राचीन श्री कालिका माता मंदिर पहुंची। यहां सैलाना दरबार विक्रम सिंह राठौर, अमर सिंह राठौर परिवार द्वारा मा श्रीकालिका माता जी की पूजा अर्चना की गई। श्रीराम लक्ष्मण जी की झांकी सवारी में नगर के गणमान्य नागरिक व भक्तगण साथ चल रहे थे।
ततपश्चात (सवारी) भ्रमण करते हुए सैलाना नगर के रावण दहन स्थल स्वश्री प्रभु दयाल गेहलोत स्टेडियम ग्राउंड पर पहुंची, यहा दशानन्द रावण अपने अहम अहंकार में अपना सीना ताने खड़े 51 फीट के रावण का दहन,श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमानजी,वानरो के अवतार में पंडित प्रेमदास बैरागी के सानिध्य में श्री रामजी, ने दशानंद को तीरमार कर (छोड़कर ) रावण के अहम को अंततः दहन कर समाप्त किया। वही 21-21 फिट के मेघनाथ ओर कुंभकरण के पुतलों को भी अपना निशाना बनाते हुए उनका भी दहन किया।
मुख्य कार्यक्रम स्थल पर महाआरती, दुर्गा स्तुति व हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ हुआ। श्रीहनुमान चालीसा पाठ से पूरा ग्राउंड गुंजायमान हुआ,एवं श्रीराम जी की महाआरती की गई। तत्पश्चात रंगारंग आतिशबाजी का दोर चला जिसका नगर की जनता ने भरपूर आनंद लिया। पूरे आयोजन का संचालन शिक्षक मुनेंद्र दुबे ने किया।
धार्मिक आस्था से किए गए पूरे कार्यक्रम की नगर वासियों ने पूरी-पूरी प्रशंसा की वही मुख्य दशानंद एवं कुंभकरण के नहीं जलने पर भी चर्चा रही अंततः परिषद कर्मचारी द्वारा अपनी सूझबूझयता को दिखाते हुए रावण को जलाया गया नगर परिषद द्वारा प्रशासनिक आयोजन आयोजित विजयदशमी कार्यक्रम निर्विघ्न सफल होने पर नगर की समस्त जनता व उच्चअधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

दशहरा पर हम रावण क्यों जलाते हैं?
सरल शब्दों में कहें तो रावण की मृत्यु अत्याचार के अंत और समाज में नैतिकता और व्यवस्था की वापसी का प्रतीक है । और इसलिए, रावण के पुतले जलाकर दशहरा मनाया जाता है।
इस अवसर पर एस डी ओ पी नीलम बघेल ,तहसीलदार कुलभूषण शर्मा, थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह गडरिया सहित पुलिस महकमा उपस्थित था। एसडीओपी नीलम बघेल ने रावण दहन कार्यक्रम के बाद पत्रकारों को दशहरे विजय दशमी की शुभकामनाएं दी।
*शत्रुओं पर मिलती है विजय*
दशहरे के दिन रावण दहन वाले स्थान की राख को लेकर अपने माथे पर लगाना काफी शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस उपाय से व्यक्ति को अपने शत्रुओं पर विजय मिल सकती है। वहीं आप रावण दहन के बाद बची हुई लकड़ी को अपने घर ला सकते हैं। इसके बाद इस लकड़ी को घर की तिजोरी या फिर धन रखने के स्थान पर रख दें।

Author: MP Headlines



