समावेशी व न्यायपूर्ण समाज के लिए महिला सशक्तिकरण आवश्यक
देश के 15 राज्यों से 75 शोध पत्र हुए प्रस्तुत
सैलाना। समावेशी व न्यायपूर्ण समाज निर्माण के लिए महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका की आवश्यकता है और इसमें शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है । एक महिला के शिक्षित होने से दो परिवार विकसित होते हैं । हम देख भी रहे हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की पहुंच वर्तमान परिदृश्य में बढ़ रही है। आज ग्रामसभा से लेकर राज्यसभा व गृह शासन से लेकर राष्ट्र शासन तक महिलाएं अपनी भूमिका निभा रही है। सुरक्षा ,अंतरिक्ष, विज्ञान हर क्षेत्र में महिलाएं शिक्षा के बल पर समाज,परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं ।समाज को इनके विकास में आ रही समस्याओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि देवियां ही त्योहारों का मूल तत्व है और शिक्षा नारी को सशक्त बनाएगी तथा विकसित राष्ट्र वही हैं जहां नारी सम्मानित हो।
उक्त संबोधन शासकीय महाविद्यालय सैलाना द्वारा आयोजित “महिला सशक्तिकरण व शिक्षा: विकसित भारत की अनिवार्यता” विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य वक्ता प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी (पूर्व वाइस चांसलर आईजीएनटीयू, अध्यक्ष राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद) ने राष्ट्रीय वेबीनार के प्रथम सत्र में दिया।

इसके पूर्व अपने स्वागत उद्बोधन में प्राचार्य डॉ आर पी पाटीदार ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं और ना केवल प्रधानमंत्री बल्कि प्रत्येक भारतवासी का यह सपना है। इसी दिशा में एक छोटे से प्रयास के रूप में यह वेबीनार आयोजित किया जा रहा है आपने कहा कि विकसित भारत 2047 का लक्ष्य केवल भौतिक समृद्धि का नहीं बल्कि न्याय संगत और समावेशी समाज का है। महिला सशक्तिकरण और शिक्षा इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक पुल है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि देश की प्रत्येक महिला को अपनी पूरी क्षमता साकार करने का अवसर मिले। यह केवल सामाजिक न्याय का विषय नहीं है बल्कि देश के समग्र और तीव्र विकास के लिए एक आर्थिक और सामाजिक अनिवार्यता है ।भारत की जनसंख्या में महिलाओं का लगभग आधा हिस्सा है यदि यह आधी आबादी अशिक्षित और असशक्त रहेगी तो देश अपनी पूरी क्षमता से कभी भी विकास नहीं कर सकता। विकसित भारत 2047 की कल्पना सशक्त नारी के बिना अधूरी है।
उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रायोजित एवं राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार में मुख्य वक्ताओं का परिचय आईक्यूएसी समन्वयक डॉ सौरभ ई लाल ने दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक प्रो आशा राजपुरोहित ने बताया कि प्रथम सत्र की द्वितीय मुख्य वक्ता प्रोफेसर निधि चतुर्वेदी (इतिहास विभाग, दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर उत्तर प्रदेश) रही।
उन्होंने अपने संबोधन में वैदिक काल से लेकर वर्तमान काल तक महिलाओं की भूमिका और शिक्षा की आवश्यकता पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय नारियों की सम्मानजनक स्थिति को देखकर पश्चिमी देश आश्चर्यचकित थे लेकिन उन्होंने यह बताने की कोशिश की कि भारतीय नारियों के कल्याण की आवश्यकता है। आपने ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, रमाबाई गार्गी ,सरला देवी चौधरानी, बसंती देवी ,सुनीता मिश्रा लाडो रानी, कमला देवी, स्वरूप रानी, विजयलक्ष्मी पंडित आदि विदुषी नारियों का शिक्षा के द्वारा महिला सशक्तिकरण में योगदान की चर्चा की। उन्होंने वर्तमान युग में मूल्य आधारित शिक्षा पर जोर दिया जिससे विकसित भारत की संकल्पना को बल मिलेगा।
प्रथम सत्र में आभार डॉ बालकृष्ण चौहान ने माना। वेबीनार के द्वितीय तकनीकी सत्र के अध्यक्ष डॉ सौरभ ई लाल एवं सह अध्यक्ष प्रो अनुभा कानड़े व डॉ सुनीता यादव (श्री जैन दिवाकर कॉलेज इंदौर) रही।
वेबीनार का आयोजन महाविद्यालय में सेमिनार की तरह किया इसमें डॉ रविकांत , क्रीड़ा अधिकारी रक्षा यादव, प्रो भूपेंद्र मंडलोई की तकनीकी कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस अवसर पर डॉ हरिओम अग्रवाल, डॉ एस एस रावत, डॉ दिलीप सिंह मंडलोई ,डॉ मोनिका आमरे, डॉ हेमलता बामनिया, डॉ मंजुला मंडलोई, डॉ अनुप्रिया करोड़े, लक्ष्मण सिंह भंवर , अजय आचार्य सहित बड़ी संख्या में राजनीति विज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर विद्यार्थी उपस्थित रहे।
इस सत्र में 75 शोध पत्रों का वाचन किया गया, जिसमें भारत के 15 राज्यों के प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। अपने विशेषज्ञ वक्तव्य में डॉ सुनीता यादव ने प्रस्तुत शोध पत्रों का विश्लेषण करते हुए उत्कृष्ट श्रेणी का बताया। अंत में आभार डॉ कल्पना जयपाल ने माना।

Author: MP Headlines



