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विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी घोषित, प्रो राजशरण शाही अध्यक्ष, डॉ वीरेंद्र सिंह सोलंकी बने महामंत्री

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपने शीर्ष पदों के लिए चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस बार, उत्तर प्रदेश के प्रो. राजशरण शाही को पुनः राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया है, जबकि मध्य प्रदेश के डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी को राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व सौंपा गया है। मुंबई स्थित अभाविप के केंद्रीय कार्यालय में सम्पन्न चुनाव प्रक्रिया में यह निर्णय लिया गया। चुनाव अधिकारी और अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. प्रशांत साठे ने इस निर्णय की घोषणा की।

22 नवंबर को गोरखपुर में लेंगे कार्यभार

राष्ट्रीय अध्यक्ष और महामंत्री के रूप में प्रो. राजशरण शाही और डॉ. सोलंकी अपने दायित्वों का औपचारिक कार्यभार गोरखपुर में 22-24 नवंबर को आयोजित होने वाले अभाविप के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन में ग्रहण करेंगे। यह अधिवेशन अभाविप के कार्यकर्ताओं और सदस्यों के लिए संगठन की आगामी योजनाओं और नीतियों पर मंथन का महत्वपूर्ण अवसर होगा। 

प्रो. राजशरण शाही का शैक्षणिक एवं संगठनात्मक सफर

प्रो. शाही, जो वर्तमान में बाबासाहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में शिक्षाशास्त्र के विभागाध्यक्ष और संकाय के अधिष्ठाता हैं, 1989 से अभाविप से जुड़े हुए हैं। उनके अकादमिक सफर में 6 पुस्तकों के लेखन और 112 से अधिक शोध पत्र शामिल हैं, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रस्तुत किए जा चुके हैं। उनकी सेवाओं के लिए 2017 में मुख्यमंत्री द्वारा “श्रेष्ठतम शिक्षक” का सम्मान भी दिया गया था। अभाविप में उनकी यात्रा गोरखपुर से शुरू हुई थी, और आज वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर पुनः निर्वाचित होकर संगठन को एक मजबूत नेतृत्व प्रदान करने जा रहे हैं।

डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी: संघर्ष और सेवा के प्रतीक

ABVP Election News: डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी: संघर्ष और सेवा के प्रतीक

 

 

डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी: संघर्ष और सेवा के प्रतीक

डॉ. सोलंकी का संबंध मध्य प्रदेश के देवास जिले के उदयनगर से है और उन्होंने एमबीबीएस की शिक्षा श्री अरबिंदो इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (सैम्स),  इंदौर से प्राप्त की है। वर्ष 2014 में अभाविप के संपर्क में आने के बाद से ही उन्होंने छात्र समस्याओं के समाधान और चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए कई आंदोलन और प्रयासों का नेतृत्व किया। विशेष रूप से, इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में परीक्षाओं की अनियमितताओं के खिलाफ आंदोलन और निजी मेडिकल कॉलेजों में बढ़ी हुई फीस के विरोध में उनका नेतृत्व उल्लेखनीय रहा। उनके परिवार द्वारा संचालित औषधालय से समाज के वंचित वर्गों के लिए कम शुल्क पर चिकित्सीय परामर्श और औषधि वितरण की सेवा भी की जाती है।

अभाविप में बदलाव की बयार

अभाविप ने नए सत्र के लिए इन दो अनुभवी और समर्पित नेताओं का चुनाव कर यह संकेत दिया है कि संगठन शिक्षा और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा। प्रो. राजशरण शाही और डॉ. सोलंकी के नेतृत्व में अभाविप के कार्यकर्ताओं को निश्चित रूप से एक नई दिशा और प्रेरणा मिलेगी।

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Author: MP Headlines

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