शिप्रा प्रदक्षिणा यात्रा 2 नवंबर से 5 नवंबर तक आयोजित होगी- त्रिशूल शिवगण वाहिनी के कार्यक्रम में संतों ने किया अनुमोदन

उज्जैन। संपूर्ण शिप्रा प्रदक्षिणा कार्तिक मास की द्वादशी दिनांक 2 नवंबर को रामघाट से प्रारंभ होकर कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को रामघाट पर हीं “एक दिया शिप्रा के नाम” अभियान के साथ पूर्ण होगी. यह यात्रा विभिन्न ग्रामों से होकर नदी को पार किये बिना निकलेगी तथा यात्रा में सात से अधिक पढ़ाव होंगे. शंकराचार्य परंपरा के दंड सन्यासी वीतरागानंद जी सरस्वती महाराज के उपनिषद आश्रम पर संपन्न हुई त्रिशूल शिवगण वाहिनी कि इस बैठक में संत समाज द्वारा क्षिप्रा प्रदक्षिणा का अनुमोदन किया गया.

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संस्था के संस्थापक सदस्य सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि शिप्रा प्रदक्षिणा का मुख्य उद्देश्य शिप्रा नदी के प्रति जनता में जन जागृति पैदा करना है, साथ ही इस पवित्र पावन नदी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रयास करना है. एक समय में शिप्रा नदी कल- कल बहती थी, लेकिन आज शिप्रा अनेकों स्थान पर सूख गई है और जगह-जगह पर गंदे नाले को नालियों से खराब हो गई है.

संस्था के संस्थापक आदित्य नागर ने बताया की शिप्रा नदी उद्गम से देवास जिले में लगभग 40 किलोमीटर तक सूखी पड़ी है किसी तरह का बहाव नहीं है. शिप्रा को प्रवहमान बनाने के लिए यह आवश्यक है की शिप्रा नदी के उद्गम और उसके आसपास के क्षेत्र में जल संरचनाओं की वृद्धि की जाए और भूजल स्तर को बड़ाया जाए. इसके लिए आवश्यक होगा की शिप्रा को उसके वास्तविक रूप में लाने के लिए नदी के ऊपर किये गए अतिक्रमण को हटाया जाए. श्री नागर में बताया कि शिप्रा नदी में देवास जिले की फैक्ट्रीयों का गंदा पानी मिलने के साथ इंदौर से आने वाली खान नदी का गंदा पानी मिल रहा है. प्रदूषित पानी के कारण नदी के आसपास के गांव में लोगों को बीमारियां हो रही हैं, खेतों में फसल का नुकसान हो रहा है, और उनके स्वाद में अंतर आ गया है. नागर ने आगे बताया कि शिप्रा नदी को प्रवाहमान करने के साथ ही उसे गंदगी से भी मुक्त करना होगा ताकि शिप्रा का जल आचमन के योग्य हो सके. साथ ही नदी में मिलने वाले नाले और अन्य गंदगी की वस्तुओं को हटाने के लिए जनता में जागरूकता पैदा करनी होगी.

समाजसेवी किरणकांत मेहता ने बताया की शिप्रा नदी कालांतर में अत्यधिक स्वस्थ रूप से शहर में बहती थी लेकिन आज उसकी स्थिति अत्यंत दयनीय है और उसके जल का आगमन करना तो दूर स्नान करना भी दुभर हो गया है.

अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल ने बताया कि शिप्रा नदी को पुनः प्रभाव मान बनाने और उसे शुद्ध करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है. बैठक में कर्मचारी संघ अध्यक्ष अरविंद सिंह चंदेल, अभिराम आश्रम के आशुतोष शर्मा, समाजसेवी संतोष शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा, योगेश शर्मा, जय सिंह पूर्व पंजीयक, अनोखी लाल एवं स्वामी मुस्कुरा के शैलेंद्र व्यास, शीलाबेन व्यास ने विचार व्यक्त करते हुए शिप्रा की पवित्रता बनाए रखने के लिए और उसमें मिलने वाली गंदगी को रोकने के लिए जन जागरण से कार्य करने की माहिती आवश्यकता बताई.

इस महत्वपूर्ण बैठक में शैलेंद्र द्विवेदी, वीरेंद्र त्रिवेदी, यश जोशी, गौरव उपाध्याय, स्वप्निल शास्त्री, हेमंत शास्त्री, रामेश्वर जोशी,लखेरवाड़ी व्यापारी एसोसिएशन अध्यक्ष महेश पायल वाला, अभिराम दास, फूल चंद जरिया, रामगोपाल शर्मा ,कमल जोशी निपुण पालीवाल ,कमल भावसार, दीपक शर्मा, परशुराम सेना के प्रदेश मंत्री ऐश्वर्य नागर, उमेश शकरगाए, गोविन्द नागर, प्रकाश व्यास, श्रीमती प्रेरणा मेहता, श्रीमती भावना नागर, श्रीमती उर्मिला रावल, मेहरबान सिंह ठाकुर के साथ ही मीडिया जगत के मूर्धन्य पत्रकार विनोद सिंह, निरुक्त भार्गव, मनोज उपाध्याय, अन्य समाजसेवी और प्रबुद्धजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.

कार्यक्रम का संचालन विनय कुमार ओझा ने किया तथा आभार शैलेश दुबे ने माना. समापन में सभी संत महात्माओं तथा बैठक में शामिल श्रद्धालुओं ने मां शिप्रा का प्रसाद फरियाली भोजन प्रसाद दादूराम आश्रम पर ग्रहण किया.

पड़ाव स्थान पर होगी सनातन पंचायत : महामंडलेश्वर शैलेश आनंद गिरि महाराज

त्रिशूल शिवगण वाहिनी की इस बैठक में महामंडलेश्वर शैलेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि शिप्रा प्रशिक्षणा यात्रा के दौरान जन जागरण के लिए प्रत्येक पड़ाव पर सनातन पंचायत का आयोजन किया जावेगा जिसमें संत समाज एवं प्रबुद्धजन मिलकर शिप्रा के साथ ही धर्म, राष्ट्र, विश्व शांति, नदी, नारी , न्याय आदि समसामयिक विषयों पर मंथन किया जाएगा।  सनातन पंचायत के निर्णयों की पुरजोर प्रस्तावना शासन को की दी जाकर समाज को प्रभावी संदेश देंगे. महामंडलेश्वर ने शिप्रा नदी के लिए कार्य करने के लिए युवाओं का आव्हान करते हुए कहा की माँ शिप्रा का भविष्य युवाओं के हाथ में है, मां समान शिप्रा के साथ हो रहें अन्याय को रोकना ही होगा.

महामंडलेश्वर ज्ञान दास महाराज दादूदयाल आश्रम निर्मोही अखाड़ा ने कहा की शिप्रा को शुद्ध करने के लिए पूर्व में अनेकों आंदोलन भी किए गए, लेकिन अब सभी को एक साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है.

भगवान बापू ने कहा कि इसके लिए जनजागरण के साथ ही शासन प्रशासन को भी साथ आना होगा.

अवधेश पुरी जी महाराज ने कहा कि शिप्रा के संरक्षण के लिए सभी धर्मावलंबियों और आम जनता को आगे आने की आवश्यकता है.

महाकाल मंदिर समिति के राजेंद्र गुरु ने शिप्रा नदी में मिलने वाले नालों को रोकने के लिए प्रयास करने का सुझाव दिया.
मित्रवृंदा धाम के संत गिरीश गुरु ने शिप्रा मैया के पौराणिक महत्व को बताते हुए कहा कि शिप्रा  ज्वारनाशिनी और पवित्र पावनी नदी है.

स्वास्तिक पीठाधीश्वर संत अवधेश पुरी महाराज ने नदी को प्रवाहमान बनाने के संकल्प पर जोर दिया. इसके अतिरिक्त बैठक में उपस्थित महामंडलेश्वर भगवतानंद गिरी जी भगवानबापू निरंजनी अखाडा, भागवत आचार्य अखिलेश महाराज़, राघवेंद्र प्रपन्न महाराज जगतगुरु श्री श्री कान्ताचार्य जी के उत्तराधिकारी तिरुपति धाम (रामानुज संप्रदाय), मनोरमा भारती जूना अखाड़ा, प्रेम परमानंद जी महाराज धर्म सम्राट करपात्री महाराज आश्रम ने भी शिप्रा के पौराणिक और सामरिक महत्व को बताते हुए हुए महाकवि कालिदास के काव्य में बताये गए शिप्रा के महत्व को बताया.

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Author: MP Headlines

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