MP Headlines

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को दे दिया अल्टीमेटम, हम बंद कर देंगे लाड़ली बहन योजना,

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को उसकी मुफ्त योजनाओं को तब तक स्थगित करने की चेतावनी दी जब तक कि वह उस निजी पक्ष को मुआवजा नहीं दे देती, जिसकी जमीन पर उसने छह दशक से अधिक समय पहले ‘अवैध’ तरीके से कब्जा कर लिया था। महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राज्य के पास ‘मुफ्त सुविधाओं पर बर्बाद करने’ के लिए काफी राशि है, लेकिन उसके पास उस निजी पक्ष को मुआवजा देने के लिए पैसा नहीं है, जिसने अपनी जमीन उसके हाथों अवैध रूप से गंवा दी है।

इस मामले में महाराष्ट्र का आचरण एक ‘आदर्श राज्य’ जैसा नहीं होने की बात कहते हुए उच्चतम न्यायालय ने चेतावनी दी कि वह निर्देश द सकता है कि मुआवजा राशि का भुगतान नहीं होने तक सभी मुफ्त योजनाएं निलंबित रहेंगी। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि राज्य ने मुआवजे के तौर पर 37.42 करोड़ रुपये देने की पेशकश की है, जबकि आवेदक के वकील ने दलील दी है कि यह करीब 317 करोड़ रुपये बैठता है।

सुनवाई के दौरान, कटनेश्वरकर ने कहा कि वह अदालत द्वारा पारित निर्देशों का पालन करते हैं, लेकिन इस तरह की टिप्पणियों के कारण सुर्खियां बनती हैं। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘हो सकता है। हमें इसकी चिंता नहीं है। हम समाचार पत्र नहीं पढ़ते। हमें नागरिकों के अधिकारों की चिंता है।’ पीठ ने कहा कि वह ये टिप्पणियां करने के लिए बाध्य है। पीठ ने पूछा, ‘आपके पास सरकारी खजाने से मुफ्त में दी जाने वाली चीजों पर बर्बाद करने के लिए हजारों करोड़ रुपये हैं, लेकिन आपके पास उस व्यक्ति को देने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसे कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना जमीन से वंचित किया गया है।

शीर्ष अदालत द्वारा पारित पहले के आदेशों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि उसने मामले में ‘स्पष्ट तथ्य’ दर्ज किए हैं। उसने कहा कि चूंकि अदालत 9 अगस्त को दायर हलफनामे में राज्य द्वारा अपनाए गए रुख से संतुष्ट नहीं थी, इसलिए उसने राज्य के वकील से मुख्य सचिव से चर्चा करने और एक उचित प्रस्ताव लाने के लिए कहा था।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता की जमीन को राज्य ने अवैध रूप से अपने कब्जे में ले लिया था और बाद में इसे अर्मामेंट रिसर्च डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट इंस्टीट्यूट (ARDEI) को आवंटित कर दिया गया था। पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय तक मुकदमे में सफल होने के बावजूद, आवेदक को अपना वैध हक पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ा।

पीठ ने कहा, ‘हम (राज्य कीहम बंद कर देंगे लाड़ली बहन योजना, सुप्रीम कोर्ट ने इस राज्य को दे दिया अल्टीमेटम) दलीलों से प्रभावित नहीं हैं। यदि राज्य सरकार कुछ मामलों में तत्परता से काम करना चाहती है, तो निर्णय 24 घंटे के भीतर लिए जाते हैं। हालांकि, हम राज्य सरकार को एक उचित मुआवजे पर काम करने के लिए कुछ और समय देने को इच्छुक हैं।’ मामले में अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी। पीठ ने कहा, ‘यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि यदि राज्य सरकार उस तिथि तक ऐसा कोई प्रस्ताव लेकर नहीं आती है, तो हम उचित आदेश पारित करने के लिए बाध्य होंगे।’

NITESH SHARMA
Author: NITESH SHARMA

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *