मध्य प्रदेश, भारत का हृदय प्रदेश है। यह प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का संगम है। हमारी नर्मदा मां की पावन धरा, हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मां नर्मदा का पवित्र जल प्रदेश के लिए जीवन रेखा का काम करती है। विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियां, हमारी शक्ति का प्रतीक हैं।
मध्यप्रदेश ने देश को कई महान विभूतियां दी हैं। हमारी धरती ने कबीर, तुलसीदास, मालवा के महान कवि, संगीतकार और कलाकारों को जन्म दिया है। हमारी धरती ने देश को स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानियों को दिया है।
आज मध्य प्रदेश विकास के नए आयाम स्थापित कर रहा है। कृषि, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हमारे सामने कई चुनौतियां भी हैं। बेरोजगारी, गरीबी जैसी समस्याओं से हमें निपटना है। हमें इन चुनौतियों का सामना मिलकर करना होगा। हमें एकजुट होकर प्रदेश को विकसित और समृद्ध बनाना है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मध्य प्रदेश के निवासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी हैं।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:
“मध्य प्रदेश के सभी क्षेत्रों को राज्य के स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।” प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध यह प्रदेश हर क्षेत्र में विकास के नित-नए मानदंड गढ़ता रहे, यही कामना है”
सुख का दाता, सब का साथी, शुभ का यह संदेश है
मां की गोद, पिता का आश्रय, मेरा मध्यप्रदेश है।
स्थापना दिवस पर जगमगा उठती है राजधानी भोपाल
मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस (एक नवंबर) की पूर्व संध्या के दौरान राजधानी में जगमगाते विधानसभा एवं अन्य भवन।
मध्य प्रदेश के अस्तित्व का सच
26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ इसके बाद सन् 1951-1952 में देश में पहले आम चुनाव कराए गए। जिसके कारण संसद एवं विधान मण्डल कार्यशील हुए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया। सन् 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नए राज्य के रूप में मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ। इस प्रदेश का पुर्नगठन भाषीय आधार पर किया गया था। इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्यप्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। इसे पहले मध्य भारत के नाम से भी जाना जाता था।
भोपाल को राजधानी के रूप में चुना गया
1 नवंबर, 1956 को प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी औऱ विधानसभा का चयन भी कर लिया गया। भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुन लिया गया। राजधानी बनने के बाद 1972 में भोपाल को जिला घोषित कर दिया गया। मध्य प्रदेश के गठन के समय कुल जिलों की संख्या 43 थी। आज मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले हैं।
राजधानी बनाए जाने के लिए इन शहरों में थी मुकाबले की टक्कर
राजधानी के लिए राज्य के कई बड़े शहरों में आपसी लड़ाई चल रही थी, सबसे पहला नाम ग्वालियर फिर इंदौर का गूँज रहा था इसके साथ ही राज्य पुनर्गठन आयोग ने राजधानी के लिए जबलपुर का नाम भी सुझाया था लेकिन भोपाल में भवन ज्यादा थे, जो सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त थे। इसी वजह से भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के तौर पर चुना गया था। भोपाल के नवाब तो भारत से संबंध ही रखना नहीं चाहते थे, वह हैदराबाद के निजाम के साथ मिलकर भारत का विरोध करने लगे थे। देश के हृदय स्थल में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए भोपाल को ही मध्य प्रदेश की राजधानी बनाने का निर्णय लिया गया।
मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर भाषण
1 नवंबर,1956 को मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर पं.रविशंकर शुक्ल का पहला भाषण लाल परेड ग्राउंड पर हुआ था।
31 अक्टूबर रात 12 बजे राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया को शपथ दिलाते हुए जस्टिस हिदायतउल्लाह।
मध्य प्रदेश के प्रथम राज्यपाल डॉ. पट्टाभि सीतारमैया 1 नवंबर, 1956 लाल परेड ग्राउंड पर सलामी लेते हुए।
मध्य प्रदेश की पहली मंत्रिपरिषद लाल परेड मैदान पर कार्यक्रम में. चित्र में प्रथम पंक्ति में दायें से बायें रानी पदमावती देवी और मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल।
भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी बनाये जाने की घोषणा के बाद नई दिल्ली से लौटे डॉ. शंकर दयाल शर्मा का भोपाल रेलवे स्टेशन पर शानदार स्वागत किया गया था।
विकास एक निरंतर प्रक्रिया है और प्रदेश की स्थापना के समय से ही सभी ने अपनी-अपनी समझ और क्षमता के अनुरूप मध्य प्रदेश के विकास में योगदान किया है। मध्यप्रदेश भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के सबसे विकसित,सशक्त,सक्षम,समृद्ध और अग्रणी राज्यों में शामिल हो इसके लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे है । हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मध्य प्रदेश 01 नवंबर को स्थापना दिवस मना रहा है। MPMyGov 63वें स्थापना दिवस पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनायें प्रेषित करता है ।