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840 मीट्रिक टन प्याज की चौथी खेप रेल रेक के जरिए दिल्ली पहुंची

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केंद्र ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और अन्य राज्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोनीपत के कोल्ड स्टोरेज में रखे प्याज को निकालने का फैसला किया

दिल्ली : सरकार के मूल्य स्थिरीकरण बफर से 840 मीट्रिक टन प्याज महाराष्ट्र में नासिक से रेल रेक के जरिए 17 नवंबर, 2024 की सुबह दिल्ली के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचा, जिसे नैफेड ने भेजा था। इस प्याज को मदर डेयरी (500 मीट्रिक टन), एनसीसीएफ (190 मीट्रिक टन) और नैफेड (150 मीट्रिक टन) को दिल्ली-एनसीआर में 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खुदरा बिक्री के लिए आवंटित किया गया है।

कीमतों में स्थिरता आने के बाद से दिल्ली में प्याज की यह चौथी खेप है। कंडा एक्सप्रेस से 1,600 मीट्रिक टन प्याज की पहली खेप 20 अक्टूबर, 2024 को पहुंची, 840 मीट्रिक टन की दूसरी खेप 30 अक्टूबर, 2024 को पहुंची और 730 मीट्रिक टन की तीसरी खेप 12 नवंबर, 2024 को पहुंची। 720 मीट्रिक टन की एक और खेप कल नासिक से रवाना हो चुकी है और 21 नवंबर तक इसके दिल्ली पहुंचने की संभावना है। यह इस श्रृंखला की पांचवीं खेप है।

थोक मात्रा में प्याज की इस आवक से दिल्ली में मंडी और खुदरा दोनों जगहों पर प्याज की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जैसा कि नीचे दिए गए ग्राफ में दिखाया गया है:

दिल्ली के अलावा, हाल ही में चेन्नई और गुवाहाटी के लिए भी प्याज की बड़ी खेप भेजी गई है। 23 अक्टूबर, 2024 को नासिक से रेल रेक के जरिए 840 मीट्रिक टन प्याज भेजा गया था, जो 26 अक्टूबर, 2024 को चेन्नई पहुंचा। रेल रेक के जरिए 840 मीट्रिक टन प्याज की खेप 5 नवंबर, 2024 को गुवाहाटी के चांगसारी स्टेशन पर पहुंची, जिसे असम, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न जिलों में वितरित किया गया। इस सप्ताह रेल रेक के जरिए असम के गुवाहाटी के लिए 840 मीट्रिक टन की एक और खेप भेजने की योजना है। गुवाहाटी के लिए थोक खेप भेजने से पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्याज की उपलब्धता बढ़ेगी और क्षेत्र में प्याज की कीमतें स्थिर होंगी। इसके अलावा, लखनऊ में अमौसी के लिए रेल रेक के जरिए 840 मीट्रिक टन की एक और खेप अगले 2-3 दिनों में आने की उम्मीद है, जिसका लदान कल से शुरू होगा।

सरकार ने त्यौहारी सीजन और मंडियों के बंद होने के कारण पिछले 2/3 दिनों में कुछ बाजारों में प्याज की आपूर्ति में आई अस्थायी बाधा को दूर करने के लिए प्याज की आपूर्ति को बढ़ाने का निर्णय लिया है। उपभोक्ता मामले विभाग, एनसीसीएफ और नैफेड के अधिकारियों की एक टीम ने देश भर में प्याज की आपूर्ति में तेजी लाने के लिए हाल ही में नासिक का दौरा किया था। नैफेड ने इस सप्ताह दिल्ली-एनसीआर के लिए दो और रेक तथा गुवाहाटी के लिए एक रेक मंगवाया है। इसी तरह, बाजारों में प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सड़क परिवहन के माध्यम से भी प्याज की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है। एनसीसीएफ द्वारा रेल और सड़क परिवहन दोनों के माध्यम से अधिक आपूर्ति से प्याज की उपलब्धता और बढ़ेगी। एनसीसीएफ ने आने वाले सप्ताह में एक और रेक मंगवाने की भी योजना बनाई है।

इसके अलावा, सरकार ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली आदि की जरूरतों को पूरा करने के लिए सोनीपत के कोल्ड स्टोरेज में रखे प्याज को निकालने का भी निर्णय लिया है। साथ ही, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम आदि में प्याज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए आरजेवीएम, सीडब्ल्यूसी कोल्ड स्टोरेज नासिक से भी प्याज भेजने का निर्णय लिया है। सरकार बाजार के घटनाक्रमों से भलीभांति परिचित है और प्याज की कीमतों को बढ़ने से रोकने के लिए कड़ी निगरानी रख रही है।

सरकार ने इस साल मूल्य स्थिरीकरण बफर के लिए 4.7 लाख टन प्याज रबी सीजन में खरीदा था, और 5 सितंबर, 2024 से 35 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खुदरा बिक्री के माध्यम से और देश भर की प्रमुख मंडियों में थोक बिक्री के माध्यम से जारी करना शुरू कर दिया था। अब तक बफर में 1.50 लाख टन से अधिक प्याज नासिक और अन्य स्रोत केंद्रों से उपभोग केंद्रों तक भेजा जा चुका है। पीएसएफ के जरिए पहल से विभिन्न राज्यों में प्याज की कीमतों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना, गुजरात, चंडीगढ़, हरियाणा, गोवा आदि जैसे अधिकांश राज्यों में औसत खुदरा कीमतें राष्ट्रीय औसत से कम रही हैं।

उत्पादन के संदर्भ में, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आकलन के अनुसार, इस वर्ष खरीफ की वास्तविक बुवाई रकबा 3.82 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले वर्ष की बुवाई रकबा 2.85 लाख हेक्टेयर से 34 प्रतिशत अधिक है। नवंबर के पहले सप्ताह तक 1.28 लाख हेक्टेयर में बुवाई के साथ देर से खरीफ प्याज की बुवाई की प्रगति भी सामान्य बताई गई है। बाजारों में अधिक खरीफ प्याज की आवक के साथ-साथ बफर स्टॉक से प्याज निकालने में वृद्धि और देर से खरीफ की अच्छी बुवाई प्रगति से उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

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