निवेश से प्रभावित लोगों को मुआवजा और रोजगार पर स्पष्ट जवाब नहीं
सैलाना / भोपाल, 30 जुलाई 2025:
मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने रतलाम जिले में हुए औद्योगिक निवेश आयोजनों, एमओयू, निवेश प्रस्तावों और गरीब आदिवासी परिवारों के विस्थापनको लेकर सरकार से विस्तार से जवाब मांगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुछ जानकारी उपलब्ध कराई, लेकिन कई संवेदनशील मुद्दों पर सरकार का जवाब अस्पष्ट और अधूरा माना जा रहा है।
विधायक डोडियार ने पूछे थे चार प्रमुख सवाल:
1. रतलाम में आयोजित इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेवों की तिथि, उद्योगपतियों के नाम और प्रस्तावित निवेश राशि की जानकारी।
2. किन-किन कंपनियों से एमओयू हुए और किस क्षेत्र में कितनी राशि के लिए कब-कब एमओयू हुए।
3. क्या आदिवासी क्षेत्रों में औद्योगिक निवेश के लिए जिनकी पुश्तैनी जमीन ली जा रही है, उन्हें बदले में जमीन और परिवार को स्थायी रोजगार मिलेगा?
4. अगर जमीन और रोजगार दिया जाना है तो कब तक मिलेगा, यदि नहीं मिलेगा तो कारण स्पष्ट करें।
मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया जवाब:
27 जून 2025 को रतलाम में “RISE – ओरिजिनल इंडस्ट्रीज स्किल एंड एंप्लॉयमेंट कॉन्क्लेव” का आयोजन किया गया।
इसमें शामिल उद्योगपतियों की सूची परिशिष्ट-1 में दी गई (जिसे सार्वजनिक नहीं किया गया)।
1 जनवरी 2024 से अब तक रतलाम में हुए आयोजनों के दौरान प्राप्त निवेश प्रस्तावों की जानकारी परिशिष्ट-2 में है, परंतु विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया।
किसी आयोजन में अभी तक किसी कंपनी से औद्योगिक नीति और निवेश विभाग द्वारा एमओयू साइन नहीं किए गए हैं, इसलिए इस विषय पर जानकारी शून्य रही।
कुल 1466.66 हेक्टेयर शासकीय भूमि उद्योग विभाग को हस्तांतरित*की गई है, जिसमें उद्योग संवर्धन नीति 2025 के अनुसार कुल रोजगार का 70% मध्यप्रदेश के मूल निवासियोंको देना अनिवार्य है।
संवेदनशील सवालों पर सरकार की चुप्पी:
विधायक डोडियार ने जिन गरीब आदिवासियों की पुश्तैनी जमीन औद्योगिक क्षेत्र में जा रही है, उनके पुनर्वास और रोजगार की गारंटी की बात उठाई थी।
इस पर मुख्यमंत्री की ओर से जमीन के बदले जमीन” और स्थायी रोजगार” को लेकर कोई सीधा या स्पष्ट उत्तर नहीं दिया गया।
विधायक का कहना है कि सरकार निवेश तो लाना चाहती है, लेकिन जिनकी कीमत पर विकास हो रहा है, उन ग्रामीण और आदिवासी परिवारों के जीवन, जमीन और अधिकारों की गारंटी नहीं दी जा रही, यह चिंता का विषय है!
विधायक कमलेश्वर डोडियार का बयान:
“रतलाम में विकास के नाम पर गरीबों और आदिवासियों की पुश्तैनी जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन उन्हें न तो जमीन के बदले जमीन मिल रही है, न ही रोजगार की गारंटी दी जा रही है। सरकार का जवाब अधूरा और गोलमोल है। हम यह मामला विधानसभा में दोबारा जोर से उठाएंगे।”
विधानसभा में पूछे गए सवालों से स्पष्ट है कि रतलाम में औद्योगिक निवेश की योजनाएं तो तेजी से आगे बढ़ रही हैं, लेकिन स्थानीय समुदायों की भागीदारी, अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी को लेकर सरकार अब भी स्पष्ट नीति सामने नहीं ला रही है। इस विषय पर आगामी दिनों में राजनीतिक और सामाजिक विरोध की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

Author: MP Headlines



