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नवरात्रि पर्व का शुभारंभ, विधिपूर्वक करें कलश की स्थापना, घर में सकारात्मक ऊर्जा का होगा संचार

नवरात्रि की शुरूआ

वैदिक पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। जो इस वर्ष 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि आरंभ हो रही है, जो 11 अक्तूबर को समाप्त होगी। नवरात्रि के दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। यु तो साल में 4 बार नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें से 2 गुप्त नवरात्रि होती है,और दो नवरात्रि चैत्र माह और आश्विन माह में मनाई जाती है। आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।  प्रतिदिन देवी मां के एक अलग रूपों के दर्शन के साथ पूजा की जाती है, और भक्त व्रत रखकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 2024
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को होता है। पंचांग के अनुसार, अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से 4 अक्टूबर को तड़के 2 बजकर 58 मिनट तक है। उदयातिथि के आधार अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को है. ऐसे में नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर गुरुवार को है। इस दिन कलश स्थापना होगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना का विशेष महत्व है। कलश को देवी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है और इसकी स्थापना शुभता, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक है। कलश को एक विशेष स्थान पर स्थापित कर उसमें जल, नारियल, आम के पत्ते और अन्य पवित्र वस्तुएं रखी जाती हैं, जो देवी मां के आह्वान का प्रतीक हैं। कलश स्थापना से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इसे देवी के आशीर्वाद प्राप्त करने का एक माध्यम माना जाता है। 9 दिनों तक कलश के समीप पूजा और व्रत किए जाते हैं, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का प्रतीक होते है। इस पूजा विधि के माध्यम से भक्त देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं और जीवन में शक्ति, ज्ञान और धैर्य की प्राप्ति की कामना करते हैं।

कलश स्थापना की विधि
नवरात्रि में कलश स्थापना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है, जिसे विशेष विधि से किया जाता है। सबसे पहले, एक स्वच्छ स्थान का चयन करें और वहां एक लकड़ी की चौकी रखें। फिर, उस चौकी पर एक कलश रखें और उसे गंगाजल से भरें। कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें. इसके बाद, कलश के सामने एक दीया जलाएं और देवी मां का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। फिर, देवी दुर्गा की पूजा करें, मंत्र जाप करें और अपनी मनोकामनाएं प्रस्तुत करें। इस प्रकार, कलश स्थापना से सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है।

 

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Author: MP Headlines

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