सैलाना। किसी समय हिंदुस्तान में हजारों राजा महाराजा हुए हैं लेकिन इतिहास में अमर वही हुए हैं जिन्होंने गुरु परंपरा को ध्यान में रखा जिन्होंने गुरु का हाथ पकड़ हो आज भी लोगों की स्मृतियों में जिंदा है। सैलाना नरेश दिलीप सिंह जी ने आगम और तर्क आनंद सागर सुरिश्वरजी म.सा. का हाथ पकड़ा और उनके समय में अमीरी परिवर्तन कर जीव अहिंसा को रुकवाया उनका नाम तब तक अमर रहेगा जब तक जिन शासन रहेगा।
यह उद्गार परम पूज्य आचार्य नयचंद्रसागरजी म.सा. राजमहल में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। आपने कहा कि जिस प्रकार राजा का शासन वहां तक चलता है जहां तक उसका फरमान चलता है उसी प्रकार जिन शासन भी वहां तक चलता है जहां तक अहिंसा विद्यमान रहती है।
धर्म सभा को संबोधित करते हुए पूज्य श्री अजीत चन्द्रसागरजी म.सा ने कहा कि आज कत्लखानों की बढ़ती संख्या को प्रगति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन प्राचीन समय में धर्म और संस्कृति के बढ़ते प्रभाव को प्रगति का प्रतीक माना जाता है या आपने कहा कि सागर जी म.सा मालवा और मेवाड़ में कदम रखकर मूर्ति पूजक संघ का विस्तार किया। सागर जी म.सा न केवल 100 धर्म ग्रंथ संकल्पित किये बल्कि 250 से ज्यादा नए ग्रंथों को बनाया। हस्तलिखित ग्रंथों को मुद्रित करवाने का कठिन कार्य भी सागर जी म.सा. ने ही किया। नीति और सिद्धांतों पर सागर जी म.सा सदैव अडिंग रहे।
धर्म सभा में परम पूज्य पदम प्रभु सागर जी मासा ने कहा कि सागर जी म.सा. जैसा जीवन तो ठीक उनके जैसी मृत्यु भी मिल जाए तो हमें अपने आप को भाग्यशाली मानना चाहिए। धर्म सभा को परम पूज्य अजीत चंद्रसागर जी म.सा. ने संबोधित करते हुए कहा कि साधु संतों की नजर जहां ठहर जाती है वहां से बला भी खिसक जाती है। धर्म सभा को परम पूज्य अमित गुणा श्री जी म.सा. ने भी संबोधित किया धर्म सभा में परम पूज्य अमीपूर्णा श्रीजी म.सा., अमिदर्शा श्री जी म.सा., शुद्धि प्रसन्ना श्रीजी म.सा. एवं साध्वी वृन्द के साथ ही बड़ी संख्या में श्रावक श्रमिकों उपस्थित थे। धर्म सभा का संचालन सौरभ रांका ने किया।

Author: MP Headlines



