मिली कैबिनेट की मंजूरी,
भोपाल। मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में चुने जाने वाले नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उन्हें हटाना आसान नहीं होगा। मोहन यादव सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। राज्य मंत्रि-परिषद ने मंगलवार को मध्य प्रदेश नगर पालिका (द्वितीय संशोधन ) अध्यादेश 2024 को मंजूरी देते हुए नगर पालिकाओं में पारित अविश्वास प्रस्ताव संबंधी प्रावधान में बदलाव कर दिया है।
कैबिनेट बैठक के बाद उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा, ”इस संशोधन के बाद किसी पार्षद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव वर्तमान दो साल के प्रावधान के बजाय तीन साल बाद ही लाया जा सकेगा।” संशोधन अधिनियम की धारा 43-ए में ”दो साल” शब्दों के स्थान पर ”तीन साल” शब्द लाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है जिसमें नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बड़ी राहत दी गई हैं । अब नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना आसान नहीं रहेगा।

अब नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव 3 साल के पहले नहीं लाया जा सकता. पिछले दिनों बानमोर नगरीय निकाय की घटना के बाद राज्य सरकार यह अध्यादेश लेकर आई है।
3 साल से पहले नहीं अविश्वास प्रस्ताव मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में संशोधन को मंजूरी दे दी गई। इसके जरिए नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को बड़ी राहत दी गई है
इस नए नियम के तहत अब नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर हटाना आसान नहीं होगा। अब अविश्वास प्रस्ताव 3 साल के पहले नहीं लाया जा सकता। इसके अलावा अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तीन-चौथाई पार्षदों की सहमति अनिवार्य होगी।
अभी तक क्या था नियम
अभी तक किसी नगर पालिका के किसी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए दो-तिहाई पार्षदों की सहमति जरूरी होती थी। नए संशोधन विधेयक में 3 साल से पहले अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। अभी तक यह समय सीमा 2 साल की थी।

Author: MP Headlines



